आधुनिक तकनीक मिट्टी रहित पौध तैयार करने के फायदे

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  • इस तरह कम समय में पौध तैयार की जा सकती है|  विशेषकर सर्दी के मौसम में जहां बाहर खुले वातावरण में क्यारियों में टमाटर जैसी फसल की पौध तैयार करने में 50 से 60 दिन का समय लगता है वहीं इस तकनीक से स्वस्थ एवं उच्च गुणवत्ता वाली पौध मात्र 28 से 30 दिन में तैयार हो जाती है।
  • बीज की मात्रा भी काफी कम की जा सकती है, क्योंकि इस विधि से प्रत्येक बीज को अलग-अलग गड्ढों में बोया जाता है ताकि प्रत्येक बीज स्वस्थ अंकुर दे सके।
  • पौधे को सभी प्रकार की मिट्टी  जनित बीमारियों और कीटाणुओं से बचाया जा सकता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पौधे को वायरल बीमारियों के प्रकोप से भी बचाया जा सकता है।
  • जब पौध बाहर क्यारियों में तैयार की जाती है तो पौधे उखाड़ते समय जड़ टूटने से पौधों की मृत्यु क्षमता लगभग 10 से 15 प्रतिशत होती है। लेकिन इस तकनीक से तैयार पौधे में एक भी पौधे के मरने की संभावना नहीं रहती है. इससे पौधे को झटका भी नहीं लगता है |
  • पौधे में जड़ें अधिक विकसित और लंबी होती हैं, जिससे पौधा अधिक शक्तिशाली होता है। इस प्रकार तैयार किये गये पौधे रोपाई के बाद बहुत ही कम समय में मुख्य खेत में स्थापित हो जाते हैं जबकि बाहर उगाये गये पौधों को मुख्य खेत में स्थापित होने में कई दिन लग जाते हैं।
  • इस मिट्टी रहित पौधा उत्पादन तकनीक से किसी भी सब्जी फसल की पौध किसी भी समय तैयार की जा सकती है। खासकर सीजन से पहले फसल उगाने के लिए ताकि बेमौसमी सब्जी उत्पादन से अधिक मुनाफा कमाया जा सके. इस विधि से कद्दूवर्गीय सब्जियों के पौधे भी बहुत आसानी से तैयार हो जाते हैं जो पहले क्यारियों में संभव नहीं था।
  • इस प्रकार के पौधे उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जिनसे अधिक उत्पादन लिया जा सकता है | इस प्रकार तैयार किये गये पौधे को उचित पैकिंग के बाद दूर ऐसी जगह पर भेजा जा सकता है जहां उस मौसम में इसे तैयार करना संभव नहीं है या ऐसी तकनीक उपलब्ध नहीं है।
  • इस प्रकार के पौधे उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जिनसे अधिक उत्पादन लिया जा सकता है | इस प्रकार तैयार किये गये पौधे को उचित पैकिंग के बाद दूर ऐसी जगह पर भेजा जा सकता है जहां उस मौसम में इसे तैयार करना संभव नहीं है या ऐसी तकनीक उपलब्ध नहीं है।
  • सब्जियों में संकर किस्मों के बीज काफी महंगे होने के कारण यह तकनीक किसी भी प्राकृतिक क्षति से बचाने में पूरी तरह सक्षम है।
  • इस विधि में कम खाद एवं पानी की आवश्यकता होती है।
  • इस विधि में पौध की वृद्धि एक समान की जाती है, जिससे मुख्य खेत में रोपाई के बाद भी फसल की वृद्धि एक समान होती है।

सब्जियों की संरक्षित खेती के लिए पौध तैयार करने की यह आवश्यक एवं एकमात्र विधि है।

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